मेरे पास एक करामाती
कोट है जिसे पहनकर मैं लोगों के नजर से ओझल हो जाती हूँ और महान बनने का मुगालता पालनेवाले आत्माओं की
तस्वीरें नागिन की तरह अपनी आँखों के कैमरे में कैद करती रहती हूँ | मेरे पास जादुई
जूतियों की एक जोड़ी है जिसे पहनकर मैं मनहुस पाखंडियों और कूपमंडूकों के घेरे से
पवन वेग से उड़कर भाग निकलती हूँ | मेरे पास सपनों और कविताओं की एक जादुई छाता है
जो मुझे उदासी और एकाकीपन की ठंढी बारिश से बचाता है |
मेरे पास अपने दुखों और हठों के कवच-कुंडल है
जो मेरी आत्मा को क्षुद्रता भरे जीवन और कुरूप मृत्यु से बचाता है |
मैं पंखोंवाले जिस गर्वीले घोड़े की सवारी
करती हूँ वह मुझे विजय तक तो शायद न ले जाए, लेकिन वीरोचित पराजय तक शायद अवश्य ले
जाएगा, या फिर हो सकता है की फिर उदात्त काव्यात्मक मृत्यु तक |
“बूढ़े आदमी ने शिकायतना अंदाज में कहा हमारे
जमाने में ..........|”
युवा आदमी ने मेज पर
मुक्का ठोककर बूढ़े आदमी को अवहेलनापूर्ण निगाहों से देखते हुए आत्मविश्वास के साथ
कहा- “हमारे जमाने में .......|”
बूढी स्त्री ने
दोनों को उचटती निगाहों से देखा, फिर बेटी को शंकालू निगाहों से देखा और कुछ
इर्ष्या और कुछ अफसोस और कुछ वर्जनाओं के स्वर में बोली “हमारे जमाने में ........|”
युवा स्त्री कुछ
सोचती हुई कुछ ठिठकती हुई कुछ हिम्मत बांधती हुई जैसे कुछ पूछती हुई सी दूर
क्षितिज की और देखती हुई बोली “हमारे जमाने में .........|”
क्रमश:
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