ये पन्ने ........सारे मेरे अपने - वो ज़ज़्बात जिन्होंने कभी मुझे छुआ था अहिस्ता- आहिस्ता वो पन्नों मे कैद होते जा रहे हैं।
शनिवार, 4 जून 2011
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